आप हो तो दुनिया कि सारी खुशियां अपनी होती है, आप हो तो दुनिया कि सारी खुशियां अपनी होती है,
है पितृ पक्ष करना पिंडदान गोलोकवासी! है पितृ पक्ष करना पिंडदान गोलोकवासी!
सोचा था इस तरह मुक्त हो जाऊँगा मैं पितृ ऋण से किया वही जो कर रहे सदियों से नहीं भिन्न सोचा था इस तरह मुक्त हो जाऊँगा मैं पितृ ऋण से किया वही जो कर रहे सदियों से नहीं...
हरगोविंद जाग अब, कर अब ही तू जो नहीं कर पाया.....! हरगोविंद जाग अब, कर अब ही तू जो नहीं कर पाया.....!
इस कविता में मैंने "प्रेम" को कुछ पंक्तियों द्वारा दर्शाया है | इस कविता में मैंने "प्रेम" को कुछ पंक्तियों द्वारा दर्शाया है |